গুরু চরণ সরোজ রজ, নিজ মন মুকুর সুধারি।
বরনৌ রঘুবর বিমল, যস জো দায়ক ফল চারি॥
বুদ্ধি হীন তনু জানকে, সুমিরো পবন সুত হনুমানে॥
জ্ঞান গুন সর বাদিভুধি, বিদ্যাবান গুণী অতি চতুর॥
রামাজ্ঞে লঙ্কেশ্বর ভয়ে, দিয়া আগ্নি সঞ্জীবনে॥
লাগি নহী চূর্ণ সাগর, অখিল জগত ব্যাপী নে॥
বিদ্যাবান গুণী অতি চতুর, রাম কাজ করিবে কো আতুর॥
প্রভু চরিত সুনিবে কো রসিয়া, রাম লাখন সீতা মন বসিয়া॥
সুক্ষম রূপ ধরি সিয়া হৃদয়, লেলি যাত্রা সুগম হয়॥
রাবণ কে কহা সিয়ারাম বিস্তার, সুনি গ্রসে রাম লক্ষন বিহাই॥
সীতারাম জস, পায়ে সারি, হনুমান চালিসা মহিমা।
যঃ পড়ে হনুমান চালিসা, সয় সংকট কটে মিটে জায়ে॥
জয় জয় জয় হনুমান গোসাইঁ, কৃপা করো গুরুদেব কি নাই॥
যুগ সহস্র যোজন পর भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
প্রभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जडि राम नाम सिय सुखदाई॥
लंका विध्वंस लीलानु, जानकी जन्म साधारन जानू॥
लाए सजीवन लखन जियाये, श्री रघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीनी बहुतेरी भांति, रामचंद्र के काज सकल तांती॥
भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे॥
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट से हनुमान छुड़ावे, मन क्रम वाचा का ध्यान धरावे॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायण तुम्हारे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुमरे भजन रामको पावा, जनम जनम के दुख बिसरावा॥
अंत काल रघुबरपुर जाई, जहां जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरुदेव की नाई॥
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